दरियागंज का किताब बाज़ार
अगर आप दिल्ली में रहते हैं और किताबों के शौक़ीन हैं तो आप ज़रूर ही दरियागंज के किताब बाज़ार के बारे में जानते होंगे. जब मैं पहली बार दिल्ली आया था तब किताबों की समझ नही थी. हम सिर्फ इसीलिए इस बाज़ार जाते थे की यहाँ सस्ती किताबे मिल जाती थी. लेकिन जब पढना शुरू किया तो धीरे धीरे ये मालूम चला की यहाँ से सिर्फ सस्ती किताबे ही नहीं बल्कि दुर्लभ किताबे भी खरीदी जा सकती है, इस बाज़ार में घूमना हमेशा अच्छा लगता था. पहले रविवार के दिन सुबह ८ बजे से ये बाज़ार शुरू होता था और शाम तक खुला रहता था. दिल्ली गेट से लेकर लोहे के पुल तक ये बाज़ार फैला हुआ था. 2 साल पहले इसका पता बदल गया है. अब यह बाजार आसफ अली मार्ग महिला हाट पर चला गया है. पहले जैसी रौनक तो नहीं दिख रही है पर किताबे आज भी पढने वालों का राह देख रही है.
आज काफी समय बाद जाने का मौका मिला. बहुत अच्छा लगा. किताबों की वही खुशबू आज भी बाज़ार में मौजूद
थी .
दुकाने कम ज़रूर थी पर लोगो के जज्बे में कमी नहीं थी.मैंने भी कुछ किताबे खरीदी. पुराने दिन याद आये. कॉलेज के दिनों में तो हम लगभग हर महीने एक दो चक्कर ज़रूर लगाते थे. बाद में ये कम हो गया. जब खरीदने के लिए पैसों की कमी नहीं है तो क्यों ही यहाँ आते. लेकिन अब महसूस होता है की आते रहना चाहिए. यहाँ आकर जब आप किताबों को देखते हैं तब आपको ज़रूर ये महसूस होता है की पढने को कितना कुछ बांकी है. सब कुछ तो हम नहीं पढ़ सकते पर बहुत कुछ अवश्य पढ़ सकते हैं, पढने का शौक हमें बहुत आगे ले जाता है. किताबे उस यात्रा की हमसफ़र होती है. इसीलिए किताबों को करीब रखने वाला इन्सान कभी अकेला महसूस नहीं करता है.



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