निरंतर लिखते रहने का विश्वास
नए महीने की शुरुआत हो गयी है और एक नए विश्वास के साथ आगे बढ़ते रहने का ज़ज्बा कायम है. बहुत दिनों से कुछ पोस्ट नहीं किया था तो एक अजीब सा खालीपन लग रहा था. पिछले महीने तो कुछ खास नया नहीं लिख पाया पर इस महीने कोशिश रहेगी की लिखते रहा जाये. काफी कुछ लिखने का मन है. देखते हैं कहाँ तक पहुँच पाते हैं. लिखना भी एक कला है. कई बार आप बहुत कुछ लिखना चाहते हैं पर विचारों के प्रवाह को एक दिशा देना तत्काल संभव नहीं हो पाता है. ये उन सभी के साथ शायद होता होगा जो कुछ न कुछ लिखते रहना चाहते हैं. लेकिन निरंतर लिखना भी बहुत आवश्यक है. कई बार हम इसी इंतज़ार में रहते हैं की जब कोई अच्छा विषय आएगा तब उसपर लिखूंगा. और अन्दर एक डर भी बना रहता है की अच्छा नहीं लिखा या पढने वालों को हमारा लिखा हुआ अच्छा नहीं लगा तो क्या होगा? पर इस डर को हटाना एक लेखक के लिए बहुत ज़रूरी है. हो सकता है की मैं आज अच्छा नहीं लिखू पर मैंने कुछ लिखा इसे भी एक उपलब्धि मान सकते हैं . और हाँ जैसे की कहा जाता है “कुछ लिखे हुए को आप हमेशा ठीक कर सकते हैं पर खाली पन्ने को कभी ठीक नहीं कर सकते” इसीलिए कुछ न कुछ लिखना ज़रूरी है. इसीलिए मैं भी यही कोशिश कर रहा हु की कुछ लिखता रहू. ये भी नहीं है की जल्दी में हूँ बस अपनी ईमानदार कोशिश ज़ारी है.
कबीर का एक दोहा है
“धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय, माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय।“
अर्थात “मन में धीरज रखने से सब कुछ होता है. अगर
कोई माली किसी पेड़ को सौ घड़े पानी से सींचने लगे तब भी फल तो ऋतु आने पर ही
लगेगा !”
इसीलिए बस इनता ही आवश्यक है की हम निरंतर प्रयाश करते रहें और सही
समय का इंतज़ार करे. जब जो होना होगा अपने आप हो जायेगा.ये बाते मैं आज के ब्लॉग के
सन्दर्भ में कह रहा हु. ऐसा भी नहीं सोच रहा हु की अचानक से बहुत सारे लोग मेरे
ब्लॉग को पढने लगेंगे पर इतना विस्वाश ज़रूर है की जितने भी पढेंगे उनको ज़रूर अच्छा
लगेगा.
अब आने वाले में समय में किस किस विषय पर लिखने का मन है. तो उनमे सबसे
पहले है की किताबों के बारे में लिखा जाये. जैसे की इन दिनों कुछ किताबे पढ़ रहा हूँ. जल्दी ही उनकी
समीक्षा लिखने का प्रयास करूँगा. किताबों के बारे में लिखना इतना आसान नहीं होता.
एक लेखक कितनी मेहनत से किताब लिखता है इसकी कल्पना नहीं की जा सकती. इसीलिए ज़रूरी
है की किसी भी किताब की समीक्षा तभी लिखी जाए जब की उसे पूरी इमानदारी से आपने पढ़ी
हो. तो थोडा इंतज़ार किया जाये.
किताबों के अलावा कोशिश रहेगी की कुछ और विषयों पर बात की जाये. उनमे
से एक है “उर्दू के बारे में कुछ बातें”. जल्द ही इस विषय पे भी कुछ गुफ्तगू की
जाएगी.
प्यार और विस्वास बनाये रखिये. ब्लॉग पर आने के लिए तहे दिल से
शुक्रिया. लिखते रहने के संकल्प के साथ आज के इस ब्लॉग पोस्ट को समाप्त करते हैं.
पढ़ते रहिये!
धन्यवाद!
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