मैथिल संस्कार - दुर्बाक्षत मंत्र (Durbakshat Mantra)

आब्रह्मन् ब्राह्मणो ब्रह्मवर्चसी जायतामाराष्ट्रे राजन्यः शूर इषव्योsतिव्याधी महारथो जायताम्। दोग्ध्री धेनुर्वोढाsनड्वानाशुः सप्ति पुरन्ध्रिर्योषा जिष्णू रथेष्ठाः सभेयो युवाsस्य यजमानस्य वीरोजायाताम् निकामे निकामे नः पर्जन्यो वर्षतु फलवत्यो ओषधयः पच्यन्ताम् योगक्षेमो नः कल्पताम्

टिप्पणियाँ

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  2. क्या दूर्वाच्छत मंत्र का अर्थ हिंदी में प्राप्त हो सकता है?

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