मैथिल संस्कार - दुर्बाक्षत मंत्र (Durbakshat Mantra)
“ॐ आब्रह्मन् ब्राह्मणो ब्रह्मवर्चसी जायतामाराष्ट्रे राजन्यः शूर इषव्योsतिव्याधी महारथो जायताम्। दोग्ध्री धेनुर्वोढाsनड्वानाशुः सप्ति पुरन्ध्रिर्योषा जिष्णू रथेष्ठाः सभेयो युवाsस्य यजमानस्य वीरोजायाताम् निकामे निकामे नः पर्जन्यो वर्षतु फलवत्यो न ओषधयः पच्यन्ताम् योगक्षेमो नः कल्पताम् ।“
This is very nice.
जवाब देंहटाएंkindly sand me the audio form?
हटाएंदूब्रा अक्षत मंत्र
हटाएंThis is very nice.
जवाब देंहटाएंबहुत नीक
जवाब देंहटाएंबहुत नीक
जवाब देंहटाएंGood
जवाब देंहटाएंMaithil sanskar!
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंBahut sunnar.
जवाब देंहटाएंBahut sunnar.
जवाब देंहटाएंबहुत नीक
जवाब देंहटाएंबहुत नीक
जवाब देंहटाएंATI UTTAM
जवाब देंहटाएंअतिसुन्दर
जवाब देंहटाएंAwasome
जवाब देंहटाएंVery nice and useful to the new generation.
जवाब देंहटाएंक्या दूर्वाच्छत मंत्र का अर्थ हिंदी में प्राप्त हो सकता है?
जवाब देंहटाएंVery useful .
जवाब देंहटाएंVery usefull fabilous
जवाब देंहटाएंVery much useful information many many thanks
जवाब देंहटाएंBahut sunder
जवाब देंहटाएंबहुत निक🙏
जवाब देंहटाएंVery nice
जवाब देंहटाएंKamlesh mishra very nice
जवाब देंहटाएंBahut nik.
जवाब देंहटाएंअधूरा मंत्र.
जवाब देंहटाएंSahi apne kahu kay
हटाएं