सात साल बाद वापसी.....
"रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल, जब आंख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है" - ग़ालिब
नमस्कार आप सभी को एक बार फिर से !
सात वर्ष हो गए अपने इस ब्लॉग पे अंतिम पोस्ट लिखे हुए. ऐसा नहीं की इन सात वर्षों में कुछ लिखा नहीं बस वो सब इस ब्लॉग से दूर रह गया. इसके कई कारण हैं. पर आज उसकी बात नहीं करेंगे. जो बीत गया सो बीत गया. कारण तलाशने से वो बीते दिन वापिस तो नहीं आयेंगे. सो उसे रहने देते हैं और आज से फिर एक नई शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग पे.
सबसे पहले ब्लॉग का नाम बदल रहा हूँ. ब्लॉग की शुरुआत में "चौक चौराहा" नाम रखा था पर आज इसे बदल रहा हूँ आखिर परिवर्तन संसार का नियम है :-)
चलिए ब्लॉग की शुरुआत ग़ालिब की कलम से. तीन चीज़ें आज भी दिल के करीब हैं. ग़ालिब, गुलज़ार और दिल्ली. हम आज भी दिल्ली में ही रह रहे हैं. और काफी खुश हैं. समय तेज़ी से गुज़रा है. हिंदी और उर्दू से काफी नजदीकी हुई है इन दिनों. किताबे पढ़ी जा रही हैं और भरपूर जिया जा रहा है. आने वाले दिनों में अपने इस ब्लॉग पे किताबों के बारे में बातें की जाएँगी. उसके अलावा और जो कुछ भी लिखने लायक होगा वो ज़रूर लिखा जायेगा. विचार और व्यवहार आज भी वैसा ही है और मजबूती के साथ टिका हुआ है.
पिछले डेढ़ साल से हम सब कोरोना महामारी के दौर से गुज़र रहे हैं. इसकी वज़ह से कई अपनों का साथ बीते दिनों में छुट गया है. लेकिन जिंदगी फिर भी चल रही है और आगे भी चलती रहेगी. यही एक खूबसूरती है इंसानी ज़ज्बे की, कि हर मुश्किल समय से निकल कर हम आगे का रास्ता बना ही लेते हैं. आज के समय में सबकी एक ही ख्वाहिश है की सब स्वस्थ रहें. इन्सान के सेहत से बढ़कर कुछ भी नहीं. अगर हम स्वस्थ हैं तो हम कायम हैं.
आज के पहले पोस्ट को छोटा रखते हुए एक बार फिर आप सबका धन्यवाद. ब्लॉग पर अपना प्यार बनाये रखिये. अपने लिए सिर्फ यही कामना है की अब क्रम ना टूटे और कलम लिखता रहे.
आपका दिन शुभ हो.
धन्यवाद!
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