दिल्ली के flyover
दिल्ली के flyover
हर सुबह की तरह आज भी मैं घर से, थोड़ी देर से निकला लेकिन आज ऑफिस काफी देर से जाने का दिन था. इन्द्र देवता भी BJP के CWG विरोधी agenda में खड़े हैं और दिल्ली में पहले कभी कभी होने वाली बारिश आज कल रोज़ हो रही है. जैसे ही ITO के करीब पहुंचा तेज़ बारिश की बूंदों ने स्वागत किया. पहले तो कोशिश की, कि चलते रहते हैं लेकिन फिर गीले कपड़ों में ऑफिस ना जा सकने के संकोच ने फटफटिया रोकने पर मजबूर कर दिया. हमारी तरह और भी लोग थे जो दो पहिओं के फर्क को महसूस करते हुए सामने के flyover के नीचे रुक रहे थे. वैसे तो हम दिल्ल्ली में बनने वाले हर flyover को traffic कम करने का एक इंतज़ाम मानते हैं लेकिन आज उसके seasonal फायदे से भी रूबरू होने का मौका मिला. ये flyover ही हैं जो हमारे जैसे ४- २ पहिये वाले बाहन चालको को बारिश के समय आश्रय देता है. Ring road के flyover के नीचे जहाँ हम रुके हुए थे आज मज़मा लगा हुआ था. मीडियम लेवेल के office executive से लेकर pollution free cycle चालक भी रुके हुए थे. कुछ खुशनसीब भी थे जो अपने dedicated महिला मित्रों (Dedicated इसलिए की अब हर लड़की तो बारिश के दिनों में आपके bike पर नहीं बैठेगी) के साथ बारिश का आनंद ले रहे थे और कुछ अपने कार वाले bosso (जो आज उनसे पहले already ऑफिस पहुँच चुके थे) के गालियों वाले फ़ोन का इंतज़ार कर रहे थे. बहुत सारे वैसे मजदूर वर्ग भी वहां पहले से बैठे थे जो आज कल दिल्ली को जबरदस्ती सँवारने में लगे हुए हैं वे हम जैसे अतिथियों को देखकर हैरान थे जिनकी वजह से उनका already late कार्यक्रम और late हो रहा था.
आपको याद होगा पहले के DTC के बस स्टॉप की छत जो काफी चौरी हुआ करती थी और जिनके नीचे आप आराम से खड़े हो सकते थे, आजकल वो नदारद हैं इसके कारण भी दिल्ली में flyovers का महत्व बढ़ गया है जो बारिश के दिनों में अपने ऊपर चल रही कारों को गति देती हैं और अपने नीचे खड़े लोगो को temporary छत. एक और फायदा भी है इन flyovers का वो ये कि आजकल ये CWG के लिए २४ घंटे काम करने वाले मजदूर भाइयों के रात का बसेरा भी है. पता नहीं गेम ख़तम होने के बाद ये सुना आलिन्द कैसा लगेगा. यही सब सोचते सोचते कब बारिश की गति थोड़ी धीमी हुई पता ही नहीं चला. धीरे धीरे एक एक कर सब लोग बिछड़ गए या यूँ कहे की सडको की भीड़ में खो गए, हम भी एक बार पुन: फटफटिया पर सवार हुए और दैनिक मंजिल यानी ऑफिस की ओर चल दिए.




हर सुबह की तरह आज भी मैं घर से, थोड़ी देर से निकला लेकिन आज ऑफिस काफी देर से जाने का दिन था. इन्द्र देवता भी BJP के CWG विरोधी agenda में खड़े हैं और दिल्ली में पहले कभी कभी होने वाली बारिश आज कल रोज़ हो रही है. जैसे ही ITO के करीब पहुंचा तेज़ बारिश की बूंदों ने स्वागत किया. पहले तो कोशिश की, कि चलते रहते हैं लेकिन फिर गीले कपड़ों में ऑफिस ना जा सकने के संकोच ने फटफटिया रोकने पर मजबूर कर दिया. हमारी तरह और भी लोग थे जो दो पहिओं के फर्क को महसूस करते हुए सामने के flyover के नीचे रुक रहे थे. वैसे तो हम दिल्ल्ली में बनने वाले हर flyover को traffic कम करने का एक इंतज़ाम मानते हैं लेकिन आज उसके seasonal फायदे से भी रूबरू होने का मौका मिला. ये flyover ही हैं जो हमारे जैसे ४- २ पहिये वाले बाहन चालको को बारिश के समय आश्रय देता है. Ring road के flyover के नीचे जहाँ हम रुके हुए थे आज मज़मा लगा हुआ था. मीडियम लेवेल के office executive से लेकर pollution free cycle चालक भी रुके हुए थे. कुछ खुशनसीब भी थे जो अपने dedicated महिला मित्रों (Dedicated इसलिए की अब हर लड़की तो बारिश के दिनों में आपके bike पर नहीं बैठेगी) के साथ बारिश का आनंद ले रहे थे और कुछ अपने कार वाले bosso (जो आज उनसे पहले already ऑफिस पहुँच चुके थे) के गालियों वाले फ़ोन का इंतज़ार कर रहे थे. बहुत सारे वैसे मजदूर वर्ग भी वहां पहले से बैठे थे जो आज कल दिल्ली को जबरदस्ती सँवारने में लगे हुए हैं वे हम जैसे अतिथियों को देखकर हैरान थे जिनकी वजह से उनका already late कार्यक्रम और late हो रहा था.
आपको याद होगा पहले के DTC के बस स्टॉप की छत जो काफी चौरी हुआ करती थी और जिनके नीचे आप आराम से खड़े हो सकते थे, आजकल वो नदारद हैं इसके कारण भी दिल्ली में flyovers का महत्व बढ़ गया है जो बारिश के दिनों में अपने ऊपर चल रही कारों को गति देती हैं और अपने नीचे खड़े लोगो को temporary छत. एक और फायदा भी है इन flyovers का वो ये कि आजकल ये CWG के लिए २४ घंटे काम करने वाले मजदूर भाइयों के रात का बसेरा भी है. पता नहीं गेम ख़तम होने के बाद ये सुना आलिन्द कैसा लगेगा. यही सब सोचते सोचते कब बारिश की गति थोड़ी धीमी हुई पता ही नहीं चला. धीरे धीरे एक एक कर सब लोग बिछड़ गए या यूँ कहे की सडको की भीड़ में खो गए, हम भी एक बार पुन: फटफटिया पर सवार हुए और दैनिक मंजिल यानी ऑफिस की ओर चल दिए.




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